ऐतिहासिक है भोजूडीह भैरव स्थान, अज्ञातवास के दौरान पांडव ठहरे थे .यहां लगी है गंदगी का भंडार हो रही अंदेखी*

📝RAJESH ,KUMAR
Jharkhand, dhanbad 🖊️
कांग्रेस इंटक प्रदेश सचिव सह प्रवक्ता एवं धनबाद मेयर प्रत्याशी बिरेंद्र पासवान ने बोकारो जिले के चंदनक्यारी बिधानसभा व धनबाद लोकसभा क्षेत्र के bhojudih स्थित भैरवनाथ धाम स्थान पर फैली गंदगी से विचलित होकर कहा कि झारखंड के एक गिने-चुने ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों में एक भैरव नाथ स्थान है ,यह स्थान बोकारो जिला के चंदनकियारी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किलो मीटर की दूरी पर पूरब दिशा में अवस्थित भोजूडीह के निकट यह भैरव स्थान अपने आप में इस कदर का इतिहास एवं पुरातत्व को भी समेटे हुए है। जहां हमें एक ही स्थल पर आध्यामिकता शाश्वतता पुरातनता एवं ऐतिहासिकता की अनुभूति होती हैं। यहां पूजा-अर्चना करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती थी। लोगों का मानना है कि यहां जो भी मन्नतें मानी जाती है वह जरूर पूरा होता है। भैरव स्थान की पवित्र मंदिर में रखी गई देवी-देवताओं की काले सिस्ट स्टोन की बनी प्रतिमाओं का तिथि निर्धारण पुरातात्त्विकविदों ने इस मंदिर के निर्माण शैली के आधार पर जांच करने के बाद इसे 8वीं से 12वीं सदी के बीच में निर्मित बताया हैं। मान्यता है कि कुंड का पानी पीने से ठीक हो जाती हैं कई बीमारियां भैरव नाथ मंदिर के संबंध में कहा गया है कि महाभारत काल में जब पांडवों का अज्ञातवास हुआ तो यहां ठहरे थे। तब पानी की उपलब्धता के लिए अर्जुन ने धरती पर बाण मारकर जिससे यहां कुंड बना। इतिहास चाहे जो भी हो पर यह तथ्य आश्चर्यजनक है कि इस पवित्र कुंड का शीतल जल में औषधीय गुण भी है। और इस कुंड का जल गंगाजल की तरह कभी खराब नहीं होता है तथा विभिन्न बीमारियों से पीड़ित लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए इसे पीते है। इस कुंड के बीच में पत्थर के दो चक्र कार गोले है जिसके बारे में लोग कहते हैं कि प्रति शिवरात्रि के अवसर पर ये घूमते भी है। आश्चर्यजनक कुंड का जलस्तर नहीं कभी घटता है न बढ़ता है और यह जल निकलकर पास के इजरी नदी में मिल जाता है यहां सालों भर धार्मिक पर्यटकों का आना-जाना लगा रहता है जिससे झारखंड के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में यह स्थल लोकप्रिय रहा है। ऐसे ऐतिहासिक स्थान के महत्व को नजरंदाज किया जा रहा है मंदिर के आसपास फैले खचरे चीख चीखकर बता रही है कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है ऐसा ही चलता रहा तो धार्मिक स्थल का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

