डायबिटीज पर नियंत्रण जरूरी है*–
आज के समय में हर 10व्यक्ति में 8को बीपी शुगर है।इसका प्रमुख कारण है–
1.निसंदेह डायबिटीज एक वंश परंपरा (आनुवंशिक)रोग है।अगर माता पिता दोनों ही इस रोग से ग्रसित हो तो संतान में इसकी सम्भावना 80%तक रहती है।अगर किसी एक को भी हो तो 50% तक की संभावना रहती है।
2. मोटापा कारणों की सूची में प्रमुख है।
3. पैंक्रियाज ग्रंथि का क्षतिगस्त हो जाना,एण्डोक्रायन ग्रंथियां जैसे–पिट्यूटरी ग्रंथि,। थायराइड ग्रंथि तथा सुप्रारिनल ग्रंथि आदि के रोग भी मधुमेह के जनक हैं।
4. अनियमित दिनचर्या, असंतुलित खान-पान भी मधुमेह के जनक हैं।
5. मधुमेह रोग शिशु से लेकर 60-70 वर्ष तक के स्त्री व पुरुषों को हो सकता है।
वर्तमान समय में कोई भी ऐसी औषधि उपलब्ध नहीं है जिससे मधुमेह का रोगी पूर्णतः ठीक हो जाए।रोग को नियंत्रण में रखना ही इसका एक मात्र उपचार है। इससे इसके उपद्रव आगे नहीं बढ़ पाते हैं।
आयुर्वेदिक औषधियां बहुत है। इसके अलावा करेला, जामुन की गुठली, गुड़मार, पनीर के फूल, नीम की पत्तियां, मैथीदाना आदि भी रक्त में शर्करा की मात्रा को कम करते हैं।
वैसे तो आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इंसुलिन का प्रयोग मधुमेह रोग में किया जाता है, लेकिन चिकित्सा जगत के परिणाम यह बताते है कि इंसुलिन मधुमेह की वास्तविक चिकित्सा नहीं है बल्कि *मैन्टेनेन्स* है।
मधुमेह का श्रेष्ठतम एवं सरल उपचार प्रतिदिन 5 किमीo टहलना तथा नियंत्रित भोजन करना है। साथ ही साथ कुछ आसन भी करना चाहिए जैसे-
1 भुजंगासन 2.शशांकासन 3. हलासन और 4. पश्चिमोत्तानासन आदि।
किसी भी बीमारी में परहेज़ जरुरी है।
*आर.पी.वर्मा*