*सर्दी से लेकर मलेरिया व पीलिया का इलाज कर रहे झोलाछाप, क्योंकि सरकारी अस्पताल में डॉक्टर नहीं ठेके पर सिर्फ इलाज ही नहीं, पेशेंट लाने पर कमीशन देने का भी कर रहे दावा*

बिलासपुर /झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से कोटा इलाके में मलेरिया पीड़ित चार बच्चों की जान जा चुकी है। स्वास्थ्य अमले ने चार क्लीनिक को सील कर दिया है। इसके बाद भी गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टर अभी भी इलाज कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के ही आंकड़े के मुताबिक करीब 772 झोलाछाप डॉक्टर हैं। इनमें सबसे ज्यादा बिल्हा इलाके में हैं। भास्कर टीम शनिवार को जिले के चारों ब्लाक के 30 से ज्यादा गांव में झोलाछाप डॉक्टरों के क्लीनिक पहुंची। यहां पर कथित डॉक्टरों ने सामान्य सर्दी-खांसी, बुखार से लेकर मलेरिया, पीलिया, बवासीर और गुप्त रोग भी ठीक करने का दावा किया। हर दिन बड़ी संख्या में लोग इनसे इलाज कराने पहुंचते हैं, क्योंकि हर गांव में सरकारी अस्पताल नहीं हैं। कोटा ब्लॉक में जहां चार बच्चों की मौत हुई है, उसी इलाके में जिन डॉक्टरों की पोस्टिंग है, वे शहरी क्षेत्र में अटैच करा लिए हैं।
शिवराम बिन सेंटर श्रीः पिताम्बर (मुन्ना) भारल मो.
पीलिया प्राप्त करें
रतनपुर-कोरबा रोड में एक पान सेंटर में बोर्ड लगा है, जिसमें पीलिया को दवाई मिलने की जानकारी दी जा रही है।
अभी कार्रवाई चल रही है,
इसलिए इलाज बंद कर दिया हूँ.
कोटा ब्लॉक के अरपा भैंसाझार रोड पर जोगीपुर में निजी प्रैक्टिस करने वाले घनश्याम दास ने बताया कि सदर्दी, खांसी, बुखार के अलावा मलेरिया और पीलिया की भी दवा देते हैं। जरूरत
पड़ने पर इंजेक्शन दिया जाता है। एक मरीज को बुखार आने पर 100 से 150 रुपए में इलाज हो जाता है। बुखार नहीं उतरा तो दोबारा देखने का एक्स्ट्रा चार्ज लगता है। दास ने बताया कि अभी छापा चल रहा है। इस कारण दो-तीन दिन से इलाज बंद कर दिया है। घुटकु में 3, भाड़म में 2, लमेर में 2. खरगहना, लारीपारा, में झोला छाप डॉक्टर हैं।
30 हजार में खुलने लगेगा मुंह
डॉ. विधान चक्रवर्ती, धकरभाठा बस्ती
• गुटखा खाने से मेरा मुंह नहीं खुलता?
आप कहाँ से आए हो?
• मैं कड़ार गांव से आया हूं।
कब से मुंह खुलना कम हो रहा है।
• सात आठ साल से हो
रहा है। दवाई से ठीक
हो जाएगा?
– बाहर से दवाई मंगाता हूं। तीन माह खाना होगा।
• कितना पैसा लम
जाएगार
एक माह का 10 हजार और तीन माह का 30 हजार लगेगा।
• कुरु और प्राब्लम भी है?
सेक्स प्राब्लम है क्या ?
• उसकी भी दवाई आती है क्या?
मिनफेक्सर, 3000 रुपए का आता है, 60 टेबलेट। • कुछ कम कर दो, पेसेंट लाऊंगा आपके लिए। पेंशेंट लाओंगे तो कमीशन दे दूंगा।
हेल्थ का क्लर्क ही चला रहा था क्लीनिक, सील
कोटा ब्लॉक मुख्यालय में शुक्रवार देर रात दो
और अवैध क्लीनिक पर कार्रवाई की गई। जांच
के बाद दोनों क्लीनिक सील कर दिए गए हैं। इनमें
कोटा में संचालित विश्वास क्लीनिक और दूसरा
मरावी क्लीनिक है। मरावी क्लीनिक का संचालक
देवशंकर मराबी है, जो
कि शासकीय सामुदायिक
स्वास्थ्य केंद्र कोटा में
क्लर्क है। एक दिन पहले
गुप्ता क्लीनिक और चिरंजीत विश्वास क्लीनिक के विरुद्ध कार्रवाई की
गई थी। कोटा एसडीएम युगल किशोर उवंशा के
नेतृत्व में कार्रवाई की गई। कोटा में गुरुद्वारे के पीछे में संचालित मरावी क्लीनिक और महाशक्ति चौक पर संचालित विश्वास क्लीनिक की जांच की गई।
एक्सपर्ट व्यू
पोस्टिंग ही विकल्प डॉ. प्रमोद महाजन, पूर्व सीएमएचओ
• ग्रामीण क्षेत्र के अस्पतालों में डॉक्टर नहीं रहते। जिनकी पोस्टिंग की जाती है, वे शहर के आसपास या सुविधाजनक जगह पर अटैच करा लेते हैं। जिनका ट्रांसफर या अटैचमेंट नहीं तो पाता, वे पाली बांध लेते हैं। जहां एकमात्र डॉक्टर की पोस्टिंग है, वे कभी जाते हैं, कभी नहीं जाते। अस्पताल में कई बार दवा नहीं होती।
कोई साइड इफेक्ट नहीं
डॉ. एस कुमार, स्थान चकरभाठा मुख्य मार्ग
मोनीसा फिलनिक
• छोटे भाई को गुप्त रोग की समस्या है?
– उसे लाना पड़ेगा।
• आप गांव नहीं जा सकते क्यार
– हम गांव नहीं जाते.
उसे ही लाना होगा।
• संडे को भी खुला रहता
– हां, संडे को भी खुला रहता है।
• आयुर्वेदिक है या एलोपैथिक इलाजर
आयुर्वेदिक इलाज है कोई साइड इफेक्ट नहीं है।
• फीस कितनी लेते हैं? फीस चार्ज दो सौ रुपए है।
चिल्हाटी में क्लीनिक बंद कर दिए झोलाछाप
सीपत इलाके के ही चिल्हाटी गांव में दिलीप, अरुण और जीवन के द्वारा लोगों का इलाज किए जाने का पता चला। पर जब उनके इलाज वाली जगह पर भास्कर टीम पहुंची क्लीनिक बंद था। बगल में दवा दुकान भी
बंद थी। ग्रामीणों ने बताया कि एक-दो दिनों से क्लीनिक बंद है। हमें खुद समझ में नहीं आ रहा है।
भास्कर टीमः सुनील शर्मा, चंद्रकुमार दुबे, संजय मिश्रा, दीपक देवांगन, सतीश यादव, शेखर गुप्ता।
इस कारण लोग झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराने
के लिए मजबूर हैं, जबकि सरकारी अस्पताल में सब कुछ फ्री है। जब तक प्रशासन सख्ती नहीं करेगा, तब तक यह सिलसिला नहीं रुकने वाला है। सरकारी अस्पताल में इलाज सही तरीके से मिलेगा, तब लोग झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाना बंद कर देंगे।
सीधी बात डॉ. प्रभात श्रीवास्तव, सीएमएचओ
किसी बीएमओ ने ध्यान नहीं दिया
• आपने सवा महीने पहले झोलाछाप पर कार्रवाई करने कहा था। क्या हुआ?
– किसी ने कुछ नहीं किया। तीन लोगों के खिलाफ ही कार्रवाई की है।
• वदि बीएमओं ने कार्रवाई नहीं की तो आपने यचा किया?
• मैंने उन्हें कार्रवाई
के लिए रिमाइंड
कराया था। किसी ने
ध्यान नहीं दिया।
• ग्रमीण क्षेत्र के
अस्पतालों में डॉक्टर- स्टाफ नहीं, दवाइयां भी नहीं मिलती।
– जहां ड्यूटी है, वहां काम नहीं करते हैं। काफी लोग पहले से अटैच हैं।
• जब हालात बेकाबू हैं, तब अटैचमेंट खत्म करने के लिए आप क्या करेंगे।
-अधिकारियों को इस संबंध में जानकारी दी गई है। मूल पोस्टिंग में जाने कहा गया है।
(संबंधित खबर पेज 18 पर भी)

