कांग्रेसियों ने मनाई डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की 132वीं जयंती, बाबा साहेब के कार्यों को किया याद, जानिए उनके बारे में

गरियाबंद : छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला मुख्यालय स्थित जिला कांग्रेस भवन में आज ब्लॉक अध्यक्ष मो. हाफिज खान के नेतृत्व में डॉ. भीमराव अंबेडकर की 132 वी जन्म जयंती मनाई. जहां गरियाबंद नगर के वरिष्ठ कांग्रेस जनों ने उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण, तिलक वंदन व श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए देश के लिए उनके किए गए योगदान को याद करते हुए नमन किया.
वही ब्लॉक अध्यक्ष हाफिज खान ने बाबा साहेब को याद करते हुए कहा कि अंबेडकर साहेब ने भारत की स्वतंत्रता के बाद देश के संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इन्होंने ना केवल पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए लड़ाई की बल्कि यह एक समाज सुधारक भी थे. जिन्होंने पक्षपात और जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई. हर साल अंबेडकर जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाती है.। बाबा अंबेडकर दलित समुदाय के लिए समान अधिकारों के लिए संघर्ष करते थे. इससे अलग इन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार कर जाति, धर्म, संस्कृति, पंथ आदि की परे रखकर सभी नागरिकों को समान अधिकार दिया. अंबेडकर साहेब को दो बार राज्यसभा से सांसद के रूप में चुना गया. 1990 में बाबासाहेब को भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
इस अवसर पर ब्लॉक अध्यक्ष मोहम्मद हफीज खान, प्रेम सोनवानी शहर अध्यक्ष, ओम राठौर मंडी अध्यक्ष, वीरू यादव पूर्व ब्लॉक अध्यक्ष, अवध राम यादव सेवा दल, नेपाल यादव सचिव जिला कांग्रेस कमेटी गरियाबंद, बीरेन्द्र सेन पिछड़ा वर्ग ब्लॉक अध्यक्ष, चंद्रभूसन संयुक्त महामंत्री, विमला साहू पार्षद, फराह खान, आर के वर्मा, नरेन्द्र देवांगन, राजेश साहू, युगल पांडे, बाबा सोनी, मुकेश राम टेके, भानु सिन्हा, प्रतिभा पटेल समेत बहुत से लोग मौजूद थे.
बाबा साहेब हमारे बीच तो नहीं हैं लेकिन उनके विचार आज भी हम लोगों के साथ हैं. ऐसे विचार जो जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देते हैं. आइये जानते है बाबा साहेब के विचारों के बारें में…
- सबके लिए समान अधिकार: बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने यह विचार दिया था कि सभी लोग बिना किसी भेदभाव के समान अधिकारों के धारक हैं. इस विचार को आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ साझा कर सकते हैं ताकि सभी को एक समान दर्जा और स्थान मिले और वे एक दूसरे की सम्मान करें.
- शिक्षा का महत्व: बाबा साहेब आंबेडकर ने शिक्षा के महत्व को हमेशा गुर्तवाकर रखा था. उनके विचारों के अनुसार शिक्षा एक व्यक्ति को सम्मान, स्वावलंबन और स्वतंत्रता की प्राप्ति करवाती है. आप इस विचार को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ साझा कर सकते हैं ताकि सभी को शिक्षा के महत्व को समझने का प्रेरणादायक संदेश मिले.
- समाज में सुधार: बाबा साहेब आंबेडकर ने समाज में सुधार के लिए लगातार संघर्ष किया था. उनके विचार हमें बताते हैं कि समाज में बदलाव लाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिए और समाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़नी चाहिए.
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मैं ऐसे धर्म को मानता हूं. जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखाए.
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हम सबसे पहले और अंत में भी भारतीय हैं.
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भाग्य में विश्वास रखने के बजाए अपनी शक्ति और कर्म में विश्वास रखना चाहिए.
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बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.
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जब तक आप सामाजिक स्वतंत्रता नहीं हासिल कर लेते, कानून आपको जो भी स्वतंत्रता देता है. वो आपके किसी काम की नहीं.
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जीवन लंबा होने की बजाए महान होना चाहिए.
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उदासीनता एक ऐसे किस्म की बीमारी है जो किसी को प्रभावित कर सकती है.
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यदि हम एक संयुक्त एकीकृत आधुनिक भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत होना चाहिए.
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जो कौम अपना इतिहास तक नहीं जानती है. वे कौम कभी अपना इतिहास भी नहीं बना सकती है.
- एक इतिहास लिखने वाला इतिहासकार सटीक, निष्पक्ष और ईमानदार होना चाहिए.
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समानता एक कल्पना हो सकती है. लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत रूप में स्वीकार करना होगा.
- एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है.
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पति-पत्नी के बीच का संबंध घनिष्ठ मित्रों के संबंध के समान होना चाहिए.
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हर व्यक्ति जो मिल के सिद्धांत कि ‘एक देश दूसरे देश पर शासन नहीं कर सकता’ को दोहराता है उसे ये भी स्वीकार करना चाहिए कि एक वर्ग दूसरे वर्ग पर शासन नहीं कर सकता.
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इतिहास बताता है कि जहां नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है. वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है. निहित स्वार्थों को तब तक स्वेच्छा से नहीं छोड़ा गया है. जब तक कि मजबूर करने के लिए पर्याप्त बल न लगाया गया हो.
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मनुष्य नश्वर है, उसी तरह विचार भी नश्वर हैं. एक विचार को प्रचार-प्रसार की जरूरत होती है. जैसे कि एक पौधे को पानी की. नहीं तो दोनों मुरझाकर मर जाते हैं.
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कानून और व्यवस्था राजनीतिक शरीर की दवा है. और जब राजनीतिक शरीर बीमार पड़े तो दवा जरूर दी जानी चाहिए.
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समाज में अनपढ़ लोग हैं ये हमारे समाज की समस्या नहीं है. लेकिन जब समाज के पढ़े-लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगते हैं. और गलत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते हैं. यही हमारे समाज की समस्या है.

