*रतनपुर के प्राचीन और ऐतिहासिक माघी मेले का मंत्री अमरजीत भगत ने किया शुभारंभ, अगले 7 दिनों तक लोक संस्कृति की बिखरेगी छटा, दूर-दूर से मेले में खरीदारी और मेले का आनंद उठाने पहुंचेंगे ग्रामीण*

रतनपुर/माघी पूर्णिमा पर रतनपुर का प्रसिद्ध माघी पूर्णिमा आदिवासी विकास मेले की शुरुआत रविवार को हुई। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने मेले का औपचारिक शुभारंभ किया। माघ महीने की पूर्णिमा पर रतनपुर में आठा बीसा तालाब के पास ऐतिहासिक मेला भरता है, जिसके साथ अब आदिवासी विकास मेला को भी समन्वय करते हुए प्रशासनिक स्टाल लगाए जाते हैं। कोरोना काल के कुछ वर्षों में में यह मेला अपने पूरे स्वरूप में नहीं लग पा रहा था। कोरोना का प्रभाव कम होने के बाद पहली बार 5 से 11 फरवरी तक लगने वाले इस ऐतिहासिक और पारंपरिक मेले को लेकर उत्साह देखा जा रहा है।

एक तरफ जहां यहां पारंपरिक दुकाने, झूले आदि लगे हैं तो वहीं सरकारी स्टाल में शासन की योजनाओं की भी जानकारी दी जा रही है। मेले के दौरान प्रतिदिन संध्या समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी। पारंपरिक ग्रामीण मेले की तरह यहां मिठाइयों की दुकानें, झूला जूते चप्पल, कपड़े, बर्तन, खिलौने, ओखरा सहित तमाम चीजें बिक रही है। रविवार को यहां उद्घाटन अवसर पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत और रतनपुर नगर पालिका के पदाधिकारी , जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।

हेलीकॉप्टर से महामाया हेलीपैड में उतरे खाद्य मंत्री सीधा मेला स्थल पहुंचे, जहां दीप प्रज्वलित एवं महामाया और छत्तीसगढ़ महतारी की पूजा अर्चना कर मेले की औपचारिक शुरुआत की। यह मेला आगामी 7 दिनों तक भरेगा।

रतनपुर के इस मेले का इतिहास करीब 500 वर्ष पुराना है। जनश्रुति है कि यहां किसी राजा की 28 रानिया थी। राजा के निधन के बाद आठाबिसा तालाब के पास समूह में यह रानी सती हुई थी ।बताया जाता है कि एक समूह में 8 और दूसरे समूह में 20 रानी सती हुई थी। इस कारण से इस स्थान का नाम आठा बीसा पड़ा। जिस की स्मृति में एक मंदिर और तालाब का निर्माण किया गया था ।प्राचीन मंदिर का अस्तित्व खत्म हो चुका है लेकिन आठा बीसा तालाब आज भी मौजूद है। इसी तालाब के किनारे माघ पूर्णिमा पर यह मेला भरता है। मेले में आसपास के ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचते हैं । पहला दिन रविवार होने से यहां मेले में भीड़ नजर आई। करीब 30 वर्षों से यहां शासकीय योजनाओं की प्रदर्शनी भी स्टाल के माध्यम से लगाई जा रही है, तो वहीं आगामी 7 दिनों तक यहां लोक कलाकार और स्थानीय स्कूलों के बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति देंगे, जिसे लेकर भी स्थानीय दर्शकों में गहरी रूचि है।

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