
मरीजों को लूट रहे निजी अस्पताल
बिलासपुर । शहर में जहाँ प्रदूषण,अनियमित दिनचर्या, खाने में मिलावट, जंकफूड आदि से व प्राकृतिक तौर से भी लोग बीमार पड़ रहे, उन्हें अस्पतालों के चक्कर काटना एवं इलाज के लिए भटकना पड़ता ही है, एक तरफ सरकार जहाँ घर घर जाकर सेवा देने का वादा कर रही और रोग मुक्त भारत की कल्पना कर रही, वहीँ दूसरी ओर निजी बड़े अस्पताल मरीजों को लूटने में लगे हुए हैं। छोटी सी बीमारी में ढेरों टेस्ट और महंगी दवाइयों ने जहाँ गरीब एवं असुविधाग्रस्त मरीजों का हाल बेहाल कर रखा है वहीँ दूसरी तरफ अनेकों नियम कानून के चलते सही वक्त पर इलाज न होने और पैसों के अभाव के कारण लोगो को अपने परिवारजनों के जीवन से हाथ धोना पड़ रहा है, यूँ तो कहने के लिए बिलासपुर जैसे नगर को स्मार्ट सिटी का दर्जा दिया जा रहा है लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बद से बदतर होते इस शहर का भगवान् ही मालिक है। एक तरफ जहाँ सरकारी अस्पताल जिसमे सिम्स,जिला अस्पताल, आयुर्वेदिक अस्पताल, मेन्टल हॉस्पिटल, जैसे अस्पताल लोगो की सेवा में दिन रात लगे हुए हैं वहीँ दूसरी तरफ निजी अस्पताल में चारो तरफ मरीजों को लूटा जा रहा है सुविधा के नाम पर जहाँ लोगो को कर्ज लेकर अपना इलाज प्राइवेट हॉस्पिटल में करवाना पड़ रहा है वहीँ दूसरी तरफ सरकारी अस्पतालों पर सरकार द्वारा नयी सुविधाएँ देने के बाद भी व्यवस्था सही नहीं होने और जनता में बने एक मनगढंत ढर्रे की वजह से सरकारी अस्पतालों पर लोग जाना नहीं चाह रहे। हमारे संवाददाता को एक मरीज ने एक प्रतिष्ठित अस्पताल के रवैय्ये के बारे में बताया की वहां अगर डॉक्टर 5 दवाइयां लिखे और दोबारा दवाई लेने जाने पर अगर मात्र 2 दवाइयों की आवश्यकता हो तब भी सारी दवाइयां लेने के लिए उन्हें मजबूर किया जाता है और न लेने जैसी असहमति पर मेडिकल स्टोर जो की निजी अस्पताल का होता है वहां से भगा दिया जाता है। वैसे ये केवल एक अस्पताल की नहीं वरन शहर के बड़े-बड़े निजी नामी अस्पतालों की हालत है। जिस मरीज ने हमें उस अस्पताल के बारे में बताया उसके शहर के मध्य एवं शहर से थोड़ी दूर पर ही नया ब्रांच डाला गया है। निजी अस्पताल के मेडिकल स्टोर संचालकों द्वारा मरीजों से बदसुलूकी करना आम बात है। यहाँ तक की जिसे शहर का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता है वहां में मरीजों को लूटा ही जा रहा है, अगर सरकार अच्छे से इन पर कार्यवाही करते हुए छानबीन करे तो बहुत सी कारस्तानी इनकी जनता के सामने होगी और उनका ध्यानाकर्षण सरकारी अस्पतालों की ओर होगा।
अब टारगेट ऑफ़ छत्तीसगढ़ जनता से उनका मत जानना चाहती है कि सरकारी या प्राइवेट ?
अपनी राय ज़रूर दें।

